सीतापुर नैमिषारण्य पावन भूमि यज्ञ , पूजा-पाठ , जप-तप के लिए समूचे हिन्दुस्तान में विख्यात है , उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के समीप सीतापुर जनपद में गोमती नदी के किनारे यह पवित्र धार्मिक स्थल है जिसको हम सब लोग नैमिषारण्य , नीमसार , नैमिष ,के नाम से जानते है प्राचीन समय से हम अपने शास्त्रों में नीमसार के बारे में पढ़ते आये है कहा जाता है की इस पावन धाम के दर्शन करने से सारे पापो से छुटकारा मिल जाता है और इंसान को मोक्ष मिल जाता है , गोस्वामी तुलसीदास जी की बात माने तो उन्होंने कहा था कि जितने भी तीर्थ है उन सबमे नैमिषारण्य तीर्थ दुल्हा है नैमिषारण्य को नाभि कहा गया है इसीलिए यहाँ पर पिण्ड दान से माता पिता का पेट भरता है तो पिण्ड दान के लिए भी यह पवित्र स्थल जाना जाता है | व्यास पीठाधीश्वर श्री अनिल कुमार शास्त्री जी ने बताया कि एक बार सारे ऋषि मुनि लोग परेशान हुए ये समझने के लिए की आखिर पूजा पाठ अनुष्ठान के लिए सबसे उपयुक्त स्थल कोन सा है तो इसका उत्तर पाने के लिए 84 हजार ऋषि पहुच गए ब्रम्हाजी के पास और उनसे अपना प्रश्न पूछा , अब ब्रम्हा जी ने एक चक्र निकाला और उसे फेंक दिया और बोले जहां पर यह पवित्र चक्र गिरेगा वही स्थान यज्ञ अनुष्ठान ध्यान योग के लिए सबसे उपयुक्त होगा तो यह चक्र गिरा जाकर नैमिषारण्य में और वह स्थान चक्रतीर्थ नाम से हो गया वैसे मेरे हिसाब से पूरा का पूरा नैमिषारण्य ही मन्दिरों और पवित्र स्थलों से भरा पड़ा है | नैमिषारण्य तीर्थ उत्तर प्रदेश राज्य के सीतापुर जिले में स्थित है , नीमसार सीतापुर से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर है , लखनऊ से इसकी दूरी वही 80-84 किलोमीटर लगभग होगी नैमिष के निकट ही हरदोई जनपद भी है हरदोई से नीमसार की दूरी 40 किलोमीटर है तो यहाँ पहुचने के कई सारे रास्ते है –यदि आप वायुमार्ग से जाना चाहते है तो नैमिषारण्य का सबसे निकटवर्ती हवाई अड्डा लखनऊ का अमौसी एअरपोर्ट है तो आप सबसे पहले अमौसी एअरपोर्ट आइये फिर वहा से आपको तमाम साधन मिल जायेंगे |यदि आप रेलवे मार्ग से जाना चाहते है तो दोस्तों यहाँ का रेलवे स्टेशन बहुत ही छोटा है फिर भी मै आपको बताना चाहूँगा की कानपुर और बालामऊ के रेलवे स्टेशन से नीमसार के लिए पैसेंजर ट्रेन उपलब्ध है , अच्छा बालामऊ हरदोई से 40 किलोमीटर आगे है और बालामऊ के लिए आपको कई ट्रेन मिल जाएँगी | यदि आप सड़क मार्ग से आना चाहते है तो आपको लखनऊ , सीतापुर , हरदोई से आपको बड़ी आसानी से साधन मिल जायेंगे | नैमिष में रुकने के लिए कई धर्मशालाए कई होटल आपको मिल जायेंगे यहाँ ठहरने की कोई भी समस्या नहीं है आप जाइये नैमिषारण्य और आराम से रूककर वहाँ का सारा क्षेत्र देखिये , यदि आप ऑनलाइन बुकिंग करना चाहते तो आप इस वेबसाइट http://namisharanya.com पर जाकर कर सकते हो | नैमिषारण्य होटल बुकिंग के लिये आप ऑनलाइन होटल बुकिंग वेबसाइट का सहारा ले सकते या फिर आप नैमिषारण्य पहुँच के भी होटल बुक कर सकते है | व्यास पीठाधीश्वर श्री अनिल कुमार शास्त्री ने कहा नैमिषारण्य-मिश्रिख क्षेत्र के पर्यटन स्थल वैसे तो पूरा का पूरा नैमिष-मिश्रिख क्षेत्र मन्दिरों व अन्य धार्मिक स्थलों से भरा पड़ा है आप जैसे ही इस जगह पहुचेंगे हर गली हर मोहल्ले में बस आपको मंदिर ही दिखाई पड़ेंगे सच में बहुत ही धार्मिक क्षेत्र है नैमिषारण्य नीमसार के कुछ प्रमुख स्थलों के बारे में व्यास पीठाधीश्वर श्री अनिल कुमार शास्त्री ने बताया चक्रतीर्थ पौराणिक मान्यताओंनुसार ब्रम्हा जी द्वारा छोड़ा गया चक्र इसी स्थल पर गिरा था यह एक एक गोलाकार चक्रनुमा कुण्ड है और चक्र के अन्दर बाहर दोनों तरफ़ जल है लेकिंन स्नान करने की व्यवस्था बाहर ही है लोग स्नान करने के साथ साथ इस चक्र की परिक्रमा भी करते है , पूरी दुनिया में इस चक्रतीर्थ की मान्यता है कहते है की इस पावन चक्रतीर्थ के जल में स्नान करने से मनुष्य समस्त पापो से छुटकारा पा जाता है खैर जब भी आप नैमिषारण्य आओ सबसे पहले चक्रतीर्थ स्नान करे , अच्छा एक और बात इस चक्रतीर्थ के आसपास कई छोटे छोटे मंदिर बने है जहां भी आप दर्शन हेतु जा सकते है |श्री शास्त्री ने बताया कि चक्रतीर्थ के पास बाबा भूतेश्वर नाथ महादेव मंदिर , श्री बद्रीनारायण धाम , श्री राधा बिहारी मंदिर , श्री सत्य नारायण मंदिर , श्री श्रृंगी ऋषि तपस्थान आदि मंदिर है | चक्रतीर्थ में स्नान करने के बाद आप ललिता देवी मन्दिर अवश्य जाय इस मंदिर में साल भर भक्तो का तान्ता लगा रहता है , ललिता देवी का मंदिर बहुत पुराना मंदिर है कुछ लोग इस पवित्र मन्दिर को लिंगधारिणी भी कहते है , इस मन्दिर का आधार काफी सुन्दर बना हुआ है इस मन्दिर के बारे में दो कथाये है एक तो है कि भगवान विष्णु ने माता सती के 108 टुकड़े किये थे तो एक टुकड़ा नैमिषारण्य में गिरा इसी स्थान पर त्रिपुर सुन्दरी माता ललिता देवी का मंदिर है , दूसरी कथानुसार जब देव-दानव का युद्ध हो रहा था तो ब्रम्हा जी के कहने पर ललिता देवी दानवो के संहार के लिए इस स्थान पर प्रकट हुई थी | पंचप्रयाग नाम का एक छोटा सा पवित्र कुण्ड ललिता देवी मंदिर के समीप ही है कुछ लोग यहाँ भी स्नान या यहाँ के जल का आचमन करते है चक्रतीर्थ के समीप ही हनुमान गढ़ी और पाण्डव किला है | पहले पाण्डव किला पड़ जायेगा चलिए इसी पवित्र स्थल के दर्शन कर लिए जाए गोमती नदी के तट पर यह किला बना हुआ है , कहा जाता है कि वनवास के समय पाण्डव इसी स्थान पर रुके थे यहाँ श्री कृष्णा और पांडवो की मुर्तिया बनी हुई है | अब दो कदम आगे जाते है और करते है दर्शन दक्षिण मुखी संकट मोचक हनुमान जी के इस स्थान पर हनुमान जी की काफी विशाल मूर्ती बनी हुई है राम लक्ष्मण हनुमान जी के कन्धो पर बैठे हुए है , हनुमान गढ़ी भी नैमिषारण्य का प्राचीन मंदिर है यहाँ पर श्रद्धालु भारी संख्या में आते है |जब आप चक्रतीर्थ से हनुमान गढ़ी के रास्ते पर ख्याटू श्याम मंदिर यह नैमिषाराण्य का अत्यंत भव्य मंदिर है इसकी सुन्दरता देखते ही बनती है इसी मंदिर के प्रांगड में श्री सत्य नारायण मंदिर भी है इन मंदिरों का निर्माण हनुमान गढ़ी संस्थान ने करवाया है |श्री शास्त्री ने बताया कि श्री देवदेवेश्वर धाम भगवान शंकर का अति प्राचीन मंदिर है यह नैमिषाराण्य के प्रमुख शिवालयो में से एक है बिलकुल शान्त वातावरण में बना यह छोटा सा मन्दिर अपने आस्था के चलते सम्पूर्ण भारत में जाना जाता है इस मन्दिर का वर्णन वायु पुराण में मिल जाता है इस मंदिर के बाहर ही आपको प्रसाद, धतूरा , बेलपत्र आदि वस्तुये मिल जाएँगी आप यहाँ अवश्य जाये और इस महान शिवलिंग के दर्शन करके खुद को धन्य बनाइये |श्री शास्त्री जी ने बताया कि बाबा देव देवेश्वर धाम नीमसार बाबा भूतेश्वरनाथ एक और अति प्राचीन शिवलिंग जिसको भक्तगण बाबा भुतेश्वरनाथ से जानते है मान्यता है की यह नैमिष के 33 करोड़ देवी देवताओ और 88 हजार ऋषियों के रक्षक है बाबा भूतेश्वर नाथ , चक्रतीर्थ परिसर में बने इस प्राचीन बाबा भूतेश्वर नाथ महादेव मंदिर में सुबह और शाम को भव्य आरती का आयोजन होता है | देवपुरी में आप पाएंगे 108 देवी देवताओ की मूर्तिया अद्भुत स्थल है यह , विशाल प्रांगड फिर एक विशाल मंदिर सच में एक ही मंदिर में इतने सारे भगवान । देवपुरी मंदिर के थोडा ही आगे श्री बाँके रमण बिहारी चार धाम मंदिर है नैमिषारण्य में देवपुरी मंदिर का भी एक विशेष योगदान है | देवपुरी मन्दिर नैमिषारण्य व्यास गद्दी पौराणिक कथा के अनुसार वेद व्यास जी ने नैमिषारण्य के इस पावन स्थल पर पुराणों का निर्माण किया और वेदों का विस्तार और विभाजन किया इस तपस्थल पर एक वट का वृक्ष है मान्यता ऐसी है कि इसी वट वृक्ष के नीचे बैठकर वेद व्यास जी ने अपने शिष्यों को पुराण और वेदों का ज्ञान दिया था |सूत गद्दी यह पौराणिक स्थल नैमिषारण्य में एक एक टीले पर बना हुआ है यहाँ पर महर्षि सूत जी महाराज ने 88000 ऋषियों को पुराणों और शास्त्रों का ज्ञान दिया था तभी से यह जगह सूत गद्दी नाम से जानी जाती है | श्री बालाजी मंदिर और श्री त्रि शक्ति धाम मंदिर ये दोनों भव्य मन्दिर नैमिषारण्य के सबसे सुन्दर मंदिरों में से है श्री बालाजी मन्दिर अभी निर्माणाधीन है और पूरा बन जाने के बाद अत्यंत उत्कृष्ट होगा वैसे अभी आप इस मंदिर में दर्शन हेतु जा सकते है | त्रिशक्ति धाम मंदिर सच में इतना शानदार बना हुआ है और इतनी शांति है इस स्थान पर कि पूछिए मत , इस सुन्दर मंदिर को आन्ध्र आश्रम संस्थान ने बनवाया है ये आंध्र प्रदेश की ही एक संस्था है , इस मन्दिर में भगवान श्री विष्णु जी की एक विराट मूर्ति बनी हुई है और माँ दुर्गा की भी एक बड़ी सी मूर्ति बनी है दोनों मुर्तिया वास्तव में बेजोड़ है अपनी नीमसार यात्रा में आप त्रि शक्ति धाम मंदिर अवश्य जाय | ये दोनों मंदिर आसपास ही है और थोडा सा और आप आगे बढ़ेंगे तो गोमती घाट आपको दिखाई देगा इस पावन घाट पर भी भक्त श्रद्धा भाव से डुबकी लगाते है | नैमिषारण्य मे एक चमत्कारिक मंदिर की और जिसका नाम है रुद्रावर्त धाम यह शिव जी का धाम नैमिषारण्य से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर एक छोटे से गाँव में स्थित है यहाँ कोई भी भव्य मंदिर तो नहीं है परन्तु इस रुद्रावर्त धाम की बड़ी विशेषता है जिसने भी यहाँ का चमत्कार सुना वो यहाँ दर्शन हेतु अवश्य आता है | गोमती नदी के किनारे पर एक छोटा सा कुण्ड है मान्यता है की इस कुण्ड में भगवान शिव की बालू की शिवलिंग बनती है सबसे बड़ी जो चमत्कार की बात है कि यहाँ आप जो भी पांच फल इस कुण्ड में डालोगे वो सीधा महादेव के पास पहुच जायेगा और प्रसाद स्वरुप पांच में से एक या दो फल ऊपर आ जायेंगे देश व प्रदेश में नैमिषारण्य अपने पौराणिक धार्मिक महत्त्व के चलते आज पूरी दुनिया में जाना जाता है , दूर दूर से तमाम पुजारी लोग यहाँ पर होने वाले विशाल यज्ञ , अनुष्ठान आदि में शामिल होने आते है , उत्तर प्रदेश के पर्यटन के मानचित्र पर नीमसार का एक महत्वपूर्ण स्थान है
नैमिषारण्य क्षेत्र के सब तीर्थों में राजा है, अनिल कुमार शास्त्री