बीते 20 माह में मिले 48 एड्स रोगी 

एड्स पर ब्रेक लगाने को जागरूकता जरूरी



सीतापुर, 30 नवंबर। जिले में ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (एचआईवी)/एड्स के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है । इनमें अधिकांश वह लोग हैं जो यूपी अथवा दूसरे प्रांतों के महानगरों में काम करते हैं या फिर सेक्स वर्कर हैं । जानकारों का कहना है कि एड्स पीडि़त मरीजों की संख्या पर विराम न लगने की मुख्य वजह लोगों में जागरूकता की कमी का होना अथवा लापरवाही बरतना है। नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (नॉको) देश भर में एचआईवी/एड्स रोकथाम के लिए प्रयास कर रहा है। 


जिले में एचआईवी संक्रमण से ग्रसित लोगों की तलाश का कार्य वर्ष 2002 से शुरू हुआ। यूपी स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी (यूपी सैक्स) के निर्देश पर डिस्ट्रिक एड्स कंट्रोल सोसाइटी यह कार्य कर रही है। जिले में वर्तमान में करीब 88 लोग एड्स से पीड़ित हैं, जिनमें से अप्रैल 2019 से नवबंर 2020 के मध्य कुल 48 नए मरीज चिन्हित हुए हैं। जिले में जो भी संक्रमित हैं उनमें अधिकतर प्रवासी और रिक्शा व ट्रक चालक हैं । क्योंकि इस पेशे से जुड़े लोग लंबे समय तक घरों से बाहर रहते हैं और संक्रमित से संबंध स्थापित कर वायरस ले लेते हैं। जब तक उन्हें इसका पता लगता है तब तक वह कई लोगों को बीमारी का वायरस परोस चुके होते हैं। जिले में सदर अस्पताल, महिला चिकित्सालय और सिधौली सीएचसी पर एचआईवी/ एड्स की जांच की जाती है। जिला अस्पताल के केंद्र के प्रभारी डॉ. प्रवीण श्रीवास्तव बताते हैं कि एड्स के अधिकतर मामले उन इलाकों से आते हैं जहां के लोग या तो बाहर काम करने जाते हैं या फिर जहां बड़ी संख्या में लोग बाहर से आए हैं। हम लोग इन पर पूरी नज़र रखते हैं। 


इसी केंद्र के परामर्शदाता उदय प्रताप मिश्रा कहते हैं कि एचआईवी/एड्स को लेकर लोगों में अभी जागरूकता बढ़ी है, लेकिन अब भी लोगों में इस बीमारी को लेकर भ्रांतियां है और वह इसकी जांच कराने नहीं आते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी एड्स जांच केंद्र पर अाने वाले मरीज की पहचान पूरी तरह से गोपनीय रखी जाती है। ऐसे में कोई भी व्यक्ति नि:संकोच आकर अपनी जांच करा सकता है। वह यह भी बताते है कि इन केंद्रों पर यह भी बताया कि जाता है कि कोई भी व्यक्ति एचआईवी के वायरस किस तरह से संक्रमित होता है, साथ ही इससे बचने के लिए सुरक्षित सेक्स का रास्ता अपनाने की सलाह भी इन केंद्रों पर दी जाती है। एसीएमओ डॉ. पीके सिंह कहते हैं कि रोग का वायरस शरीर में प्रवेश करने के बाद कम से कम तीन माह बाद बीमारी के हल्के लक्षण दिखने शुरू होते हैं। इसके बाद दिक्कतें बढ़ने लगती हैं। जब तक बीमारी की जांच होती है तब तक संक्रमित व्यक्ति रोग को कई लोगों तक पहुंचा देता है। 


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गर्भवती की होती है जांच --- 


डॉ. प्रवीण श्रीवास्तव बताते हैं कि सरकारी अस्पतालों मे एड्स की जांच के लिए पूरी सतर्कता बरती जा रही है। ब्लड की जांच के समय गर्भवती महिलाओं की एचआईवी जांच की जाती है। अगर किसी गर्भवती में एचआईवी वायरस पाया जाता है, तो उसके होने वाले बच्चे के संक्रमित होने की 20 प्रतिशत तक की संभावनाएं हाेती हैं। लेकिन समय पर महिला के इलाज से बच्चे का यह संक्रमण 10 फीसदी कम किया जा सकता है। 


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जागरूकता शिविर आज --- 


विश्व एड्स दिवस के मौके पर मंगलवार 1 दिसंबर को कांशीराम कॉलीनी में जागरूकता शिविर का आयोजन किया जायेगा । शिविर का नेतृत्व जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. मुसाफिर यादव करेंगे। शिविर में मरीजों काे एचआईवी/एड्स से बचाव की जानकारी दी जाएगी।


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