संस्थागत प्रसव से ही शिशु मृत्यु दर में आएगी कमी 






सीतापुर, 6 नवंबर। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं ताकि सुरक्षित प्रसव के साथ-साथ मातृ व शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सके। इन योजनाओं के सफल संचालन के लिए जिला स्तर से लेकर ब्लॉक स्तर पर निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं, जिसका सकारात्मक असर भी दिख रहा है। इसके बावजूद जिले के ग्रामीणों इलाकों में अब भी ऐसे गांव हैं, जहां गर्भवती को सरकारी अस्पतालों में भर्ती कराने के बजाय परिजन घरेलू प्रसव व निजी क्लीनिक में ले जाते हैं, जो जच्चा व बच्चा दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। चिकित्सकों का मानना है कि संस्थागत प्रसव कराने से शिशुओं के साथ-साथ माताएं भी सुरक्षित रहती हैं। एसीएमओ डॉ. सुरेंद्र शाही का कहना है कि शिशु और मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) पर अधिक से अधिक गर्भवती की प्रसव पूर्व जांच कराने पर बल दिया जा रहा है। सुरक्षित प्रसव के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इसके लिए एएनएम और आशा घर-घर जाकर लोगों को जागरूक कर रहीं हैं। इनसेट --- यह है बाल स्वास्थ्य के आंकड़ें --- राष्ट्रीय स्वास्थ्य परिवार सर्वेक्षण-4 के अनुसार जिले में 67.8 प्रतिशत प्रसव अस्पतालों में होते हैं, जिसमें 56.2 प्रतिशत प्रसव किसी प्रशिक्षित चिकित्सक या नर्स की निगरानी में होते हैं। 12-23 माह की आयु वर्ग के 44.8 प्रतिशत बच्चों का ही पूर्ण टीकाकरण हो पाता है। 87.3 प्रतिशत बच्चों को बीसीजी, 72.9 प्रतिशत बच्चों को खसरा और 47.7 प्रतिशत बच्चों को हेपेटाइटिस बी के तीनों टीके मिल पाते हैं। इसी आयु वर्ग के 74.2 फीसद बच्चों को पोलियो वैक्सीन की और 54.5 प्रतिशत बच्चों को डीपीटी की तीनों खुराक मिल पाती हैं। 34.8 प्रतिशत बच्चे जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान कर पाते हैं। इनसेट --- क्या कहती हैं सीएमएस --- महिला चिकित्सालय की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुषमा कर्णवाल का कहना है कि प्रसव तिथि नजदीक आने के पूर्व जरुरी तैयारी कर लेनी चाहिए। इसमें लाभार्थी एवं उसके परिवार के सदस्य एएनएम एवं नजदीकी आंगनबाड़ी की सहायता लेकर जरुरी इंतजाम कर सकते हैं और सुरक्षित प्रसव के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अथवा जिला अस्पताल जा सकते हैं।



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